बोर के परमाणु मॉडल की परिकल्पनाएँ क्या हैं? वर्णन कीजिए।
अथवा
नील्स बोर का परमाणु मॉडल किन परिकल्पनाओं पर आधारित है?
बोर ने क्वाण्टम सिद्धान्त का प्रयोग कर हाइड्रोजन परमाणु की संरचना तथा उसके स्पेक्ट्रम की व्याख्या करने के लिए एक परमाणु मॉडल दिया जो कि निम्न परिकल्पनाओं पर आधारित है
परमाणु के केन्द्र में नाभिक स्थित होता है जिसमें धनावेशित कण प्रोटॉन उपस्थित होते हैं।
परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर निश्चित त्रिज्या एवं निश्चित ऊर्जा वाले पथों में गति करते हैं। ये निश्चित ऊर्जा वाले पथ कक्षा, कोश या ऊर्जा स्तर (Orbit or Energy level) कहलाते हैं।
परमाणु में कक्षाएं नाभिक के चारों ओर संकेन्द्रीय रूप से व्यवस्थित होती हैं, जिन्हें n से दर्शाया जाता है। इनका मान हमेशा पूर्णांक जैसे 1, 2, 3, 4, 5, …… तथा इन्हें क्रमश: K, L, M, N, O……. द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
n का मान बढ़ने पर कक्षों की नाभिक से दूरी बढ़ती है अतः उनकी ऊर्जा भी बढ़ती है। प्रथम कोश अर्थात् n = 1 या K कक्ष की ऊर्जा सबसे कम होती है।
इन कक्षाओं में गतिशील इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग या इसका पूर्ण गुणक होता है। यहाँ h = प्लांक स्थिरांक, m = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान, v = इलेक्ट्रॉन का वेग, r = कक्ष की त्रिज्या है। इसका अर्थ है कि इलेक्ट्रॉन केवल उन्हीं कक्षाओं में गति करता है जिनका कोणीय संवेग के बराबर हो।
बोर के अनुसार परमाणु में एक निश्चित कक्षा में गतिशील इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है अर्थात् उसकी ऊर्जा निश्चित होती है।
इलेक्ट्रॉन जब ऊर्जा का अवशोषण करता है तो यह उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर में चला जाता है, लेकिन इसके विपरीत जब इलेक्ट्रॉन ऊर्जा का उत्सर्जन करता है तो यह उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तर में आ जाता है। परमाणु में इलेक्ट्रॉन द्वारा ऊर्जा के अवशोषण तथा उत्सर्जन से रैखिक स्पैक्ट्रम का निर्माण होता है।